5 जड़ी-बूटियों से दूर करें पित्‍त दोष की समस्‍या

1 . पित्‍त दोष को दूर करने वाली जड़ी-बूटी
पित्‍त का अभिप्राय हमारे शरीर की गर्मी से है। शरीर को गर्मी देने वाले तत्‍व को पित्‍त कहते है। पित्‍त शरीर को पोषण और बल देने वाला है। लारग्रंथि, अमाशय, अग्नाशय, लीवर व छोटी आंत से निकलने वाला रस भोजन को पचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यानी पित्त एक प्रकार का पाचक रस होता है जिसका पाचनक्रिया में महत्वपूर्ण कार्य होता है। यह आंतों को उसके कार्य को करने में मजबूती प्रदान करता है तथा उन्हें क्रियाशील बनाए रखता है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त दोष शरीर की चयापचय क्रियाओं को नियंत्रित करता है। पानी और अग्नि से बना यह दोष पाचन की प्रक्रिया को नियमित करने में मदद करता है। लेकिन पित्त के बढ़ जाने से हमें त्‍वचा पर चकत्‍ते, हार्टबर्न, डायरिया, एसिडिटी, बालों का असमय सफेद या बाल पतले होना, नींद न आना, चिडचिडापन, पसीना आना और क्रोध आदि जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन घबराइए नहीं क्‍योंकि कुछ जड़ी-बूटियों के उपयोग पित्‍त दोष को संतुलित किया जा सकता है। आइए ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों की जानकारी लेते हैं।

2 . लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाती है इलायची
पित्त दोष से ग्रस्त लोगों के लिए इलायची ठंडे मसाले की तरह काम करती है क्योंकि यह लीवर की कार्यक्षमता बढ़ाती है तथा प्रोटीन के चयापचय में सहायक होती है। पित्‍त दोष होने पर 2 से 3 चम्‍मच कैस्‍टर ऑयल के सेवन से पेट साफ करें। फिर 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर पीस लें। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें। इसे आधा चम्‍मच मक्‍खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्‍त दोष में लाभ होता है।

3 . तीनों दोषों को संतुलित करता है त्रिफला
त्रिफला शरीर में सभी प्रकार के दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिफला आंवला, हरड़ और बहेड़ा नामक तीन फलों के मिश्रण से बना चूर्ण है। आंवला प्राकृतिक एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करके प्रतिरक्षा प्रणाली को पोषण प्रदान करता है। हरड़ में लेक्सेटिव गुण पाए जाते हैं और बहेड़ा तरोताजा करने वाली जड़ी-बूटी है जो विशेष रूप से श्वसन तंत्र के अच्छी तरह कार्य करने में सहायक होती है। आंत से जुड़ी समस्याओं में भी त्रिफला खाने से काफी राहत मिलती है। त्रिफला के सेवन से आंतों से पित्त रस निकलता है, जो पेट को उत्तेजित करता है और अपचन की समस्या को दूर करता है।

4 . ब्रेन टॉनिक ब्राह्मी
ब्राह्मी बहुत ही ताकतवर हर्ब है, जिसे ब्रेन टॉनिक कहा जाता है यानी यह मस्तिष्‍क के लिए बहुत प्रभावी रूप से काम करती है, जिसके कारण एकाग्रता, याद्दाश्‍त और सीखने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन ब्राह्मी मानसिक परेशानियों के साथ-साथ शारीरिक समस्‍या से निपटने में भी सहायक होती है। ब्राह्मी अपनी ठंडी प्रवृत्ति के कारण शरीर में पित्त दोष को संतुलित करती है और शरीर को ठंडा रखती है। इसके परिणामस्वरूप शरीर का चयापचय क्रिया सही तरह से काम करती है।

5 . केसर और शतावरी
केसर में ठंडक पहुंचाने की विशिष्‍टता होती है। इसलिए जो लोग बढ़े हुए पित्‍त दोष के कारण अर्थराइटिस, मुंहासों या हेपेटाइटिस की समस्‍या से परेशान हैं उनके लिए केसर बहुत लाभाकरी होती है। कई शोधों से यह बात पता चली है कि कि केसर में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिससे यह सूजन और कैंसर से रक्षा करता है। शतावरी एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसमें पित्त को कम करने और पित्त से आराम दिलाने के गुण होते हैं जिसके कारण इसका उपयोग अपचन, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम और हार्टबर्न के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा यह प्रतिरक्षा कोशिकाओं को मजबूत और व्यवस्थित करने में मदद करती है।

तेज याददाश्त :- चीजें जिन्हें खाने से दिमाग बहुत तेज चलने लगता है

Brain
बार-बार भूलने की समस्या बहुत ही परेशानी देने वाली होती है। जिन लोगों के साथ ये समस्या होती है सिर्फ वे खुद ही नहीं उनसे जुड़े अन्य लोग भी कई बार समस्या में पड़ जाते है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई लोगों की याददाश्त कमजोर होने लगती है। किसी भी चीज को ढ़ूंढने या काम को याद रखने के लिए दिमाग पर जोर डालना पड़ता है।
नीचे लिखी चीजों को अपने आहार में शामिल करें और पाएं गजब की याददाश्त।
• ब्राह्मी- ब्राह्मी का रस या चूर्ण पानी या मिश्री के साथ लेने से याददाश्त तेज होती है। ब्राह्मी के तेल की मालिश से दिमागी कमजोरी, खुश्की दूर होती है।
• फल- लाल और नीले रंगों के फलों का सेवन भी याद्दाशत बढ़ाने में याददाश्त बढ़ाने में मददगार होते हैं जैसे सेब और ब्लूबेरी खाने से भूलने की बीमारी दूर होती है।
• सब्जियां- बैंगन का प्रयोग करें। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व दिमाग के टिशू को स्वस्थ्य रखने में मददगार होते हैं। चुकंदर और प्याज भी दिमाग बढ़ाने में अनोखा काम करते हैं।
• गेहूं – गेहूं के जवारे का जूस पीने से याददाश्त बढ़ती है। गेहूं से बने हरीरा में शक्कर और बादाम मिलाकर पीने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
• अखरोट – अखरोट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में मौजूद प्राकृतिक रसायनों को नष्ट होने से रोककर रोगों की रोकथाम करते हैं। इसमें उच्च मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है। रोजाना अखरोट के सेवन से याददाश्त बढ़ती है।

मेमोरी पावर बढाती है ब्राह्मी और शंख पुष्पी

Brahmi sankh-puspi
शंख पुष्पी और ब्राह्मी आयुर्वेद में ऐसी दो जड़ी बूटिया हैं जो मस्तिष्क बहुत ताकतवर बनाती है| इन दोनों जड़ी बूटियों में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो मस्तिष्क के अंदर तक अपना असर डालते हैं| यही कारण है कि ये जड़ी बूटियाँ न केवल स्मरण शक्ति बढाती हैं बल्कि व्यक्ति को मानसिक रूप से बलवान भी बनाती हैं| न केवल भारत अपितु सारे विश्व में इनके ऊपर अनुसंधान कार्य चल रहे हैं| ऐसा माना जा रहा है कि ये जड़ी-बूटियाँ अल्जाईमर्स, डिमेंशिया, और पार्किन्सन जैसी बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी होंगी| यह इसलिए कि इनमें दिमाग को ठीक करने की ताकत है| भारत में मेधा शक्ति बढाने के लिए इन जड़ी बूटियाँ का प्राचीन काल से उपयोग होता आया है| इससे नींद अच्छी आती है| मस्तिष्क में ताजगी लाती है| मस्तिष्क का तनाव कम करती हैं| ये दोनों जड़ी – बूटियाँ खोई हुई स्मरण शक्ति वापस लौटाने की ताकत रखती हैं| ब्राह्मी और शंख पुष्पी का सेवन भी बहुत आसान है|बच्चों की मेमोरी पावर बढाने के लिए सोते वक्त एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर लेना कर्त्तव्य है| कुछ ही महीनों में इसका असर दिखने लगेगा| ऐसे लोग जिन्हें अनिद्रा रोग है| नींद कम लेने से शरीर में कई तरह के विकार पैदा हो जाते हैं| ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रोज रात को सोते वक्त गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर पीया जाए तो बहुत लाभ होगा| इसे और अधिक स्वादिष्ट और गुणकारी बनाने के लिए रात को ७ नग बादाम के गला दें |सुबह ब्राह्मी या शंख पुष्पी के दूध में मिले मिश्रण को छानकर उसमें बादाम और ५ नाग काली मिर्च पीसकर मिला दें इसमें मिश्री भी अंदाजन मिला दें| दवा तैयार है | यह एक खुराक है | यह स्मरण शक्ति बढाने का बेहतरीन नुस्खा है\ कुछ दिन तक नियमित लेते रहें|ब्राह्मी और शंख पुष्पी मिर्गी रोग में काफी लाभ दायक साबित होती है| ये जड़ी बूटियाँ मस्तिष्क में विद्युत प्रस्फुरण को कम करती है| इससे मिर्गी के दौरों की आवृती कम हो जाती है और बीमार को शान्ति मिलती है|