अद्भुत उपाय

🌹अद्भुत उपाय🌹 के नाम से कुछ उपायों की सीरीज चलेगी, रोज देखते रहें व लिखकर रखें।
सभी उपाय अनुभूत ही आएंगे।
वर्तमान स्वास्थ्य,दिनचर्या, भोजन,मनस्थिति,आयु अनुसार प्रत्येक शरीर पर इनके प्रभाव में कुछ भिन्नता हो सकती है।

– कालरा अजमेर
🍀🌻🍀🌻🍀🌻🍀🌻🍀

आयुर्वेद की 100 उपयोगी जानकारी

आयुर्वेद

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. लकवा – सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. हाई वी पी में – स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. लो बी पी – सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
6. कफ – फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. दमा, अस्थमा – सल्फर की कमी ।
8. सिजेरियन आपरेशन – आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
10. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. जुकाम – जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी – प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. किडनी – भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
16. अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. पथरी – अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
21. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने केज्ञ बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
27. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और में भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है । हो
28. वात के असर में नींद कम आती है ।
29. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है है हैं. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
31. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
33. आँखों के रोग – कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35. प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
36. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. व्यायाम – वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
46. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
63. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
65. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66. मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
69. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
75. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
79. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे – दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
83. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
84. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ….. अंत में लाल रंग ।
87 . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89. बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
91. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
92. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
93. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।
95. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
98 . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना । देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा। लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।

भादो मास में खान पान का विशेष् ध्यान रखे

सावन व् भादो मास में खान पान का विशेष् ध्यान रखे। इस मौसम में जठराग्नि (पाचन शक्ति) कमजोर व् मंद हो जाती है।इसलिए वात् पित्त व् कफ रोग बढ़ जाते है।वर्षा ऋतू में जलवायु में विषाक्त कीटाणु पैदा हो जाते है।जो बीमारियां फैलाते है।
क्या न खाए —
1. दूध,दही, लस्सी न पिए।
2. हरी पते वाली सब्ज़िया न खाएं।
3. रसदार फल न खाएं।
4. बैंगन न खाएं इनमे कीड़े हो जाते है   और गैस भी बनाते है।
5. चकुंदर,खीरा, ककड़ी न खाए।
6. फ़ास्ट फूड न खाएं।
7. ज्यादा मिठाई न खाएं।
8. मास मदिरा न ले।
9.ठंडी व् बासी चीज न खाय।
10. आइस क्रीम व् कोल्ड ड्रिंक्स न पियें।

 

क्या खाएं —-
आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में जल्दी पचने वाले ताज़ा व् गर्म खाना चाहिए।
1. सेब,केला,अनार,नासपाती आदि मौसमी फल खाये।
2. टमाटर का सुप ले सकते है।
3. अदरक,प्याज, लहसन खाएं।
4. बेसन की चीजें व् हलवा खाये।
5. पानी उबाल कर पिए।
6. हल्दी वाला  दूध पिए।
7. देसी चाय पिए।
8. पुराना चावल, गेहूं,मक्का, सरसों,मुंग, अरहर की दाल खाएं।
9.छोटी हरड खाएं पेट साफ़ रहेगा व् पेट की बीमारियो से बचाव रहेगा।

बुद्धिवर्धक चूर्ण (शंखपुष्पादि चूर्ण)

शंखपुष्पी.jpg

आवश्यक सामग्री :-

शंखपुष्पी 150 ग्राम
ब्राह्मी 50 ग्राम
शतावर 50 ग्राम
बादाम 100 ग्राम
सोंफ 50 ग्राम
कालीमिर्च 10 ग्राम
छोटी इलायची बिज 10 ग्राम
तरबुज बिज गिरी 20 ग्राम
अश्वगंधा 50 ग्राम
आवला 50 ग्राम
जटामांशी 20ग्राम
तुलसी पंचाग 10 ग्राम
धागा मिश्री 250 ग्राम

सारे सामान को कुटपिस कर चूर्ण तैयार कर ले और सुबह शाम आधा आधा चमच्च दूध के साथ बच्चों को चौथाई चमच्च दूध के साथ नित्य प्रयोग करे ।।

फायदे – दिमागी रूप से सशक्त बनाता है दिमाग तेज़ करता है । अनिद्रा के रोगों में सहायक । मानसिक परेशानी और तनाव दूर करता है । थाइरोइड के रोग में लाभदायक थाइरोइड कम करता है । शरीर में सुस्ती नही आने देता हरदम एक्टिव रखता है ।

आज के समय में बच्चों के लिए ये चूर्ण अत्यंत आवश्यक है इसलिए आज ही इसे घर बनाए और प्रयोग करे।

रूपेश आचार्य ( संगरिया , हनुमानगढ़ . राज. )

फायदेमंद भोजन जो कर सकते हैं नुकसान

food.jpeg

आज के विचार में हम बात करते हैं कुछ ऐसे भोजन के बारे में जो स्वास्थ्यवर्धक तो है पर गलत समय पर खाने से वह आपको फायदे की जगह नुकसान करेंगे।

🍌 1. केला – वैसे तो केला एक बहुत ही स्वास्थ्य वर्धक फल माना गया है, जो आपका बल बढ़ाता है। लेकिन अगर इसे सुबह भूखे पेट खाएँ तो यह कैल्शियम और मैग्नीशियम का बैलेंस बिगाड़ कर आपके शरीर में जलन पैदा करेगा।

🍎 2. सेब – रात को सेब खाने से शरीर में एसिड ज्यादा बनेगा, जिससे आपको खाना पचाने की प्रॉब्लम होगी। इसलिए रात को कभी भी सेब ना खाएँ।

🍵 3. ग्रीन टी – आजकल वजन कम करने के लिए लोग ग्रीन टी का बहुत प्रयोग करते हैं। लेकिन इसे रात के समय में ले। सुबह भूखे पेट लेने से यह आपको फायदा नहीं करेगा।

☕ 4. कॉफी – इसे रात में ना लें। कैफीन ज्यादा होने से आपको नींद नहीं आने की शिकायत रहेगी। शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

☕5. चाय – चाय आप कभी खाली पेट ना पिएँ, वरना एसिडिटी की तकलीफ हो सकती है। और हमेशा खाली चाहे भी ना लें। चाय के साथ हमेशा बिस्किट या कुछ और जरूर लेवे।

🍶6. दूध – भूखे पेट कभी दूध न पिएँ, क्योंकि इसमें मौजूद सैचुरेटेड फैट और प्रोटीन पेट की माँस पेशियों को कमजोर करेंगे।

🍲7. दाल – देर रात को दाल न खाएँ, क्योंकि इन में प्रोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे पाचन नहीं होगा। और indigestion की प्रॉब्लम हो सकती है।

😊 मित्रों !! इसके अलावा आइए कुछ ऐसी चीजे जानते हैं जो छोटी है पर बहुत उपयोगी है।
🍵1) रात को ग्रीन टी लेने से आप अपना वजन कम कर सकते हैं।
🌶2) रात के खाने में हरी मिर्च लेकर भी आप अपना वजन कम कर सकते हैं।
🍒3) सुबह भूखे पेट फल खाना सबसे ज्यादा फायदेमंद है। लेटेस्ट रिसर्च से पता चला है कि इस से कैंसर जैसे रोग भी रोके जा सकते हैं।
🚰4) जो लोग सुबह 1 लीटर पानी पीते हैं वह लोग ज्यादा स्वस्थ रहते हैं।
🚱5) खाने के पहले और बाद 45 मिनट तक पानी ना पिएँ, तो खाना पूर्ण रूप से पच सकता है।
❗6) सिर्फ सुबह सबसे पहले आधा लिटर गरम पानी पीकर आप अपना पेट का फैट कम कर सकते हैं।

🎀मित्रों !! यह थे कुछ महत्वपूर्ण टिप्स जिन्हें आप अपना कर अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।
💐धन्यवाद

कब-कब लें आयुर्वेदिक दवाएं

%e0%a4%86%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%a6%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%8f%e0%a4%82

आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में अक्सर हम यह सोचते हैं, कि इसे कभी भी ले लो क्या फर्क पड़ता है? तो आप गलत सोचते हैं, आज हम आपको बताएंगे इन दवाओं को लेने के भी अपने कुछ नियम होते हैं, जिसके अनुसार-
🔹सूर्योदय का समय
🔹दिन में भोजन करते समय
🔹सायंकाल भोजन करते समय
🔹अनेक बार यानि पुन: पुन:
🔹रात्रि में
🔻ये पांच समय दवाओं के प्रयोग हेतु निर्देशित किये गए हैं।🔻
🔹सूर्योदय के समय कफ एवं पित्त दोष अपने स्थान से बाहर निकलने को बेताब होते है, अत: वामक एवं विरेचक दवाओं के सेवन के लिए यह बेहतर समय माना गया है।
🔹मलाशय में उपस्थित अपान वायु के कारण होने वाली परेशानियों में दिन में भोजन के पहले दवा का सेवन करना बेहतर होता है।
🔹यदि खाने की इच्छा न हो यानि अरुचि जैसी स्थिति हो तो, रुचिकर भोजन के साथ मिलाकर दवा का सेवन करना बेहतर होगा।
🔹यदि रोगी में समान वायु के बिगड़ जाने से अग्नि मंद हो गयी हो तो, बुझी हुई अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु भोजन करते समय या आधा भोजन कर लेने के बाद औषधि का सेवन करना चाहिए।
🔹इसी प्रकार व्यान वायु बिगड़ने पर भोजन के बाद दवा का सेवन करना चाहिए …,पुन: यदि किसी को हिचकी,झटके एवं कम्पवात जैसी समस्या हो एवं समान वायु भी विकृत हो तो, भोजन के पूर्व या भोजन करने के बाद दवा देना चाहिए …उदान वायु के बिगडऩे पर या सांस,खांसी आदि स्थितियों में रात्रि के पूर्व प्रहर में दो ग्रास के मध्य औषधी देनी चाहिए।
🔹प्राणवायु के विकृत होने पर सायंकालीन नाश्ते के अंत मे दवा देनी चाहिए ..प्यास,उल्टी दमा या विष के सेवन किये रोगी को जल्दी-जल्दी अनेक बार अलग से या भोजन में मिलाकर दवा देने का निर्देश है।
🔹इसी प्रकार कान,नाक ,गला जिव्हा ,दांत आदि से समबंधित रोगों में दोषों को घटाने या बढाने के लिए रात्रि में सोते समय भोजन से पूर्व दवा दी जानी चाहिए …..।
इसलिए बेहतर यह होगा कि आप कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें …जिनसे दवा के किस समय लेने ,न लेने ,किसके साथ लेने न लेने,पथ्य एवं अपथ्य से सम्बंधित परामर्श भी मिले।

स्वास्थ्य दोहावली

गोमाता के दूध में, रुई भिगाओ आप!
चूर्ण फिटकरी बांधिए, मिटे आंख का ताप!!

पानी में गुड डालिए, बित जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

धनिया की पत्ती मसल,बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों,पल लागे दो-चार!!

ऊर्जा मिलती है बहुत,पिएं गुनगुना नीर!
कब्ज खतम हो, पेट की मिट जाए हर पीर!!

प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

सूर्य किरण, प्राकृतिक हवा, भोजन से स्पर्श!
हेल्थ बनावें आपका, पग-पग देवें हर्ष !!

भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

दही उडद की दाल सँग, प्याज दूध के संग!
जो खाएं इक साथ में, जीवन हो बदरंग!!

प्रातः -दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!
तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

देश, भेष, मौसम यथा, हो जैसा परिवेश!
वैसा भोजन कीजिये, कहते सखा सुरेश!!

इन बातों को मान कर, जो करता उत्कर्ष!
जीवन में पग-पग मिले, उस प्राणी को हर्ष!!

घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!
पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!!

रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुरेश!!

देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!
अपच, आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल!!

टूथपेस्ट-ब्रश छोडकर, हर दिन दोनो जून!
दांत करें मजबूत यदि, करिएगा दातून!!

हल्दी तुरत लगाइए, अगर काट ले श्वान!
खतम करे ये जहर को, कह गए कवि सुजान!!

मिश्री, गुड, शहद, ये हैं गुण की खान!
पर सफेद शक्कर सखा, समझो जहर समान!!

चुंबक का उपयोग कर, ये है दवा सटीक!
हड्डी टूटी हो अगर, अल्प समय में ठीक!!

दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

हँसना, रोना, छींकना, भूख, प्यास या प्यार!
क्रोध, जम्हाई रोकना, समझो बंटाढार!!

सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

यदि सरसों के तेल में, पग नाखून डुबाय!
खुजली, लाली, जलन सब, नैनों से गुमि जाय!!

आलू का रस अरु शहद, हल्दी पीस लगाव!
अल्प समय में ठीक हों, जलन, फँफोले, घाव!!

भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

जो भोजन के साथ ही ,पीता रहता नीर!
रोग एक सौ तीन हों, फुट जाए तकदीर!!

पानी करके गुनगुना, मेथी देव भिगाय!
सुबह चबाकर नीर पी, रक्तचाप सुधराय!!

मूंगफली, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!!

पहला स्थान सेंधा नमक, काला नमक सु जान!
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

मैदे से बिस्कुट बने, रोके हर उत्कर्ष!
इसे न खावें रोक जो, हुए न चौदह वर्ष ।।

तेल वनस्पति खाइके, चर्बी लियो बढाइ!
घेरा कोलेस्टरॉल तो, आज रहे चिल्लाइ!!

जो अल्यूमिन के पात्र का, करता है उपयोग!
आमंत्रित करता सदा ,वह अडतालीस रोग!!

फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

नींबू पानी का सदा, करता जो उपयोग!
पास नहीं आते कभी, यकृति-आंत के रोग!!

दूषित पानी जो पिए, बिगडे उसका पेट!
ऐसे जल को समझिए, सौ रोगों का गेट!!

रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

भोजन करके खाइए, सौंफ, और गुड, पान!
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!!

हृदय रोग, खांसी और आंव करें बदनाम!
दो अनार खाएं सदा, बनते बिगडे काम!!

चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

सौ वर्षों तक वह जिए, लेत नाक से सांस!
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

मूली खाओ हर दिवस, करे रोग का नाश!
गैस और पाईल्स का, मिट जाए संत्रास!!

जब भी लघु शंका करें, खडे रहे यदि यार!
इससे हड्डी रीढ की, होती है बेकार!!

सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!
मिट जाते हर उम्र में, तन के सारे रोग!!

मछली के संग दूध या, दूध-चाय, नमकीन!
चर्म रोग के साथ में, रोग बुलाते तीन!!

बर्गर, गुटखा, सुरा अरु कोक, सुअर का मांस!
जो हरदम सेवन करे, बने गले का फाँस!!

ध्यान रखें ये बात तो, मिट जाएं हर कलेश।

असरकारी नुस्खे, परिवार की सेहत के

सूखी खांसी और नाक की एलर्जी :
सूखी खांसी, किसी भी मौसम में हो सकती है। इसका घरेलू उपचार इस प्रकार है-नुस्खा : गाय के दूध से बना घी 15-20 ग्राम और काली मिर्च लेकर एक कटोरी में रखकर आग पर गर्म करें। जब काली मिर्च कड़कड़ाने लगे और ऊपर आ जाए तब उतार कर थोड़ा ठंडा कर के 20 ग्राम पिसी मिश्री मिला दें। थोड़ा गर्म रहे तभी काली मिर्च चबाकर खा लें। इसके एक घंटे बाद तक कुछ खाएं-पिएं नहीं। इसे एक-दो दिन तक लेते रहें, खांसी ठीक हो जाएगी।

धूल मिट्टी से नाक में एलर्जी हो जाती है। निम्नलिखित नुस्खे आजमाएं – सोंठ, काली मिर्च, छोटी पीकर और मिश्री सभी द्रव्यों का चूर्ण 10-10 ग्राम, बीज निकाला हुआ मुनक्का 50 ग्राम, गोदंती हरताल भस्म 10 ग्राम तथा तुलसी के दस पत्ते सभी को मिलाकर खूब घोंटकर पीस लें और 3-3 रत्ती की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। 2 गोली सुबह व 2 गोली शाम को गर्म पानी के साथ तीन माह तक सेवन करें। ठंडे पदार्थ, बर्फ, दही, ठंडे पेय से परहेज करें। नाक की एलर्जी दूर हो जाएगी।

बवासीर :
10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ लेने से भी बवासीर में खून आना बंद हो जाता है। जमीकंद का देसी घी में मसाला रहित भुरता बनाकर खाएं। शीघ्र लाभ होगा।

नेत्र रोग :
आंखों के लिए धनिया बड़ा गुणकारी होता है। थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा कर के, मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें। इसकी दो बूंद आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं।

नकसीर :
हरा धनिया 20 ग्राम व चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें। सारा रस निचोड़ लें। इस रस की दो बूंद नाक में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर मलने से खून तुरंत बंद हो जाता है।

गर्भावस्था में जी घबराना :
गर्भ धारण करने के दो-तीन महीने तक गर्भवती महिला को उल्टियां आती है। ऐसे में धनिया का काढ़ा बना कर एक कप काढ़े में एक चम्मच पिसी मिश्री मिला कर पीने से जी घबराना बंद होता है।

पित्ती :
शरीर में पित्ती की तकलीफ हो तो हरे धनिए के पत्तों का रस, शहद और रोगन गुल तीनों को मिला कर लेप करने से पित्ती की खुजली में तुरंत आराम होता है।

गौमूत्र के रोचक गुण

गाय-Cow

गौमूत्र के रोचक गुण- जो आप नहीं जानते
==================?===============
आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। इसके कुछ गुण इस प्रकार गए हैं :-

1. गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।

2. गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोगों व विष प्रभाव को खत्म करने वाला, बल-बुद्धि देने वाला बताया गया है, बल्कि यह आयु भी बढ़ाता है।

3. पेट की बीमारियों के लिए गौमूत्र रामवाण की तरह काम करता है, इसे चिकित्सीय सलाह के अनुसार नियमित पीने से यकृत यानि लिवर के बढ़ने की स्थिति में लाभ मिलता है। यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

4. 20 मिली गौमूत्र प्रात: सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।

1. भूख की कमी, 2. अजीर्ण, 3. हर्निया, 4. मिर्गी, 5. चक्कर आना, 6. बवासीर, 7. प्रमेह, 8.मधुमेह, 9.कब्ज, 10. उदररोग, 11. गैस, 12. लूलगना, 13.पीलिया, 14. खुजली, 15.मुखरोग, 16.ब्लडप्रेशर, 17.कुष्ठ रोग, 18. जांडिस, 19. भगन्दर, 20. दन्तरोग, 21. नेत्र रोग, 22. धातु क्षीणता, 23. जुकाम, 24. बुखार, 25. त्वचा रोग, 26. घाव, 27. सिरदर्द, 28. दमा, 29. स्त्रीरोग, 30. स्तनरोग, 31.छिहीरिया, 32. अनिद्रा।

5. गौमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है। इस तरह से यह दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करता है। यह मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों से बचाता है।

6. इसमें कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है |

7. कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है | गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है | यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है |

8. दूध देने वाली गाय के मूत्र में “लेक्टोज” की मात्रा आधिक पाई जाती है, जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों के लिए उपयोगी होता है।

9. गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है! इसके अन्दर ‘कार्बोलिक एसिड‘ होता है जो कीटाणु नासक है, यह किटाणु जनित रोगों का भी नाश करता है। गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है।

10. जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेकाई करने से आराम मिलता है। सर्दियों के मौषम में इस परेशानी में सोंठ के साथ गौ मूत्र पीना फायदेमंद बताया गया है।

11. गैस की शिकायत में प्रातःकाल आधे कप पानी में गौ मूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।

12. चर्म रोग में गौ मूत्र और पीसे हुए जीरे के लेप से लाभ मिलता है। खाज, खुजली में गौ मूत्र उपयोगी है।

13. गौमूत्र मोटापा कम करने में भी सहायक है। एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।

14. गौमूत्र का सेवन छानकर किया जाना चाहिए। यह वैसा रसायन है, जो वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।

15.गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|

16.अमेरिका में हुए एक अनुसंधान से सिध्द हो गया है कि गौ के पेट में “विटामिन बी” सदा ही रहता है। यह सतोगुणी रस है व विचारों में सात्विकता लाता है।

17.गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|

18. गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है। गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए। एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।

19. मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|

20. जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाता हैं।

21. देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से ‘`प्रोपिलीन ऑक्साइड” उत्पन्न होती है, जो बारिस लाने में सहायक होती है| इसी के मिश्रण से ‘इथिलीन ऑक्साइड‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |

22. गोमुत्र कीटनाशक के रूप में भी उपयोगी है। देसी गाय के एक लीटर गोमुत्र को आठ लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है । गोमुत्र के माध्यम से फसल को नैसर्गिक युरिया मिलता है। इस कारण खाद के रूप में भी यह छिड़काव उपयोगी होता है ।गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।

23. अमेरिका ने गौ मूत्र पर 6 पेटेंट ले लिए हैं, और अमेरिकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र आयात करती है और उससे कैंसर की दवा बनाती हैं । उसको इसका महत्व समझ आने लगा है। जबकि हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से इसका महत्व बताया गया है।

 

क्‍या आपके बाल मात्र 20 या 30 की उम्र में ही सफेद होना शुरु हो चुके हैं?

black-hair

क्‍या आपके बाल मात्र 20 या 30 की उम्र में ही सफेद होना शुरु हो चुके हैं?

अगर हां, तो यह इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे खराब लाइफस्‍टाइल या फिर भोजन में सही प्रकार का पोषण ना मिलना। अगर आप अपने सफेद बालों को काला करने के लिये हेयर डाई का प्रयोग करते हैं, तो उसे तुरंत ही बंद कर दें और प्राकृतिक नुस्‍खे आजमाएं। बालों में अगर साधारण तेल लगाते हैं तो उसकी जगह पर कडी पत्‍ते और आमले के तेल का प्रयोग करें। कडी पत्‍ते वाला तेल बालों को काला करने में मददगार साबित होता है। आइये जानते हैं कि कडी पत्‍ते और आमले का तेल बनाया कैसे जाता है। इन तेलों का नियमित प्रयोग करने से आपके बालों में जान आएगी और वह काले बनेगें।

1 → कडी पत्‍ता तेल तेल बनाने की विधि – कडी पत्‍ते का एक गुच्‍छा ले कर उसे साफ पानी से धो लें और सूरज की धूप में तब तक सुखा लें, जब तक कि यह सूख कर कड़ी ना हो जाए। फिर इसे पाउडर के रूप में पीस लें अब 200 एम एल नारियल के तेल में या फिर जैतून के तेल में लगभर 4 चम्‍मच कडी पत्‍ती मिक्‍स कर के उबालिये। 2 मिनट के बाद आंच बंद कर के तेल को ठंडा होने के लिये रख दीजिये। तेल को छान कर किसी एयर टाइट शीशी में भर कर रख प्रयोग करने का तरीका हफ्ते में एक या दो बार इस कडी पत्‍ते का तेल जरुर लगाएं। अपनी दीजिये। उंगलियों को सिर पर हल्‍के हल्‍के घुमाते हुए सिर पर तेल फैलाएं। सिर धोने से 40 मिनट पहले यह तेल लगाएं। इस विधि से यह तेल सफेद हो रहे बालों को काला करने में मदद करेगा।

2 → आमला तेल आमला एक प्राकृतिक डाई के रूप में पुराने जमाने की महिलाओं दृारा प्रयोग किया जाता था।

● इस तेल को बनाने की विधि – ताजा आमला ले कर उसे छोटे टुकड़ों में काट लें और उसका बारीक पेस्‍ट बना लें। पेस्‍ट बनाते वक्‍त उसमें रोज वॉटर का भी प्रयोग कर सकते हैं। इस पेस्‍ट को अपने हेयर ऑयल के साथ मिक्‍स कर के किसी कपड़े या फिर ढक्‍कन से बिल्‍कुल कस के बांध दीजिये। अब आमला को तेल के साथ बिल्‍कुल मिक्‍स हो जाने दीजिये, ऐसा होने में लगभर 1 हफ्ता लगेगा। एक हफ्ते के बाद तेल को छान कर किसी साफ शीशी में भर लीजिये।

● प्रयोग करने की विधि :- सोने से पहले रोज रात को यह तेल लगाएं और इससे अपने सिर की अच्‍छे से मसाज करें। अगर इस तेल को हल्‍की आंच पर गरम कर के लगाया जाए तो जल्‍दी असर दिखेगा। अगली सुबह सिर को शैंपू से धो लें। इस आमला ट्रीटमेंट को आप रोज या फिर हर दूसरे दिन आजमां सकती हैं। इससे आपको बहुत लाभ मिलेगा।

टिप्‍स :- अपने भोजन में नियमित रूप से कडी पत्‍ता शामिल करें और जितना हो सके तनाव से दूर रहें। इससे आपके बालों को काला होने में मदद मिलेगी।